bharat ke pramukh shastriya nritya aur unke kalakar

भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य और कलाकार | bharat ke pramukh shastriya nritya aur unke kalakar | Best No.1 Classical Dance

bharat ke pramukh shastriya nritya aur unke kalakar

दोस्तो भारत सिर्फ एक देश नहीं है बल्कि यह तो विविधताओं का संगम है – धर्म, भाषा, पहनावा, और संस्कृति। इन्हीं सांस्कृतिक धरोहरों में से एक है भारतीय शास्त्रीय नृत्य, जो केवल मनोरंजन का माध्यम ही नहीं है, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति, भक्ति और परंपरा का एक जीवित रूप भी है। यह हम भारतीयों के लिए गर्व की बात है।

तो चलिए दोस्तों आज हम इस पोस्ट (bharat ke pramukh shastriya nritya aur unke kalakar) के माध्यम से जानेंगे भारत के प्रमुख शास्त्रीय नृत्य और उनसे जुड़े राज्य तथा कुछ प्रमुख कलाकारों के बारे में। 

bharat ke pramukh shastriya nritya aur unke kalakar

1. भरतनाट्यम — तमिलनाडु

यह भारत का सबसे प्राचीन शास्त्रीय नृत्य माना जाता है, जो मूल रूप से मंदिरों में भक्ति-नृत्य के रूप में प्रस्तुत होता था। इसमें मुद्राएँ, भाव, और ताल का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है।

प्रसिद्ध कलाकार :

  • रुक्मिणी देवी अरुंडेल – जिन्होंने इस नृत्य को आधुनिक मंच पर पुनर्जीवित किया।
  • मृणालिनी साराभाई – सामाजिक मुद्दों को नृत्य से जोड़ने के लिए जानी जाती हैं

  • वैजयंतीमाला – यह प्रसिद्ध अभिनेत्री और भरतनाट्यम कि एक कुशल नृत्यांगना हैं। 

  • पद्मा सुब्रमण्यम – इन्होंने भरतनाट्यम मे नृत्य और अभिनय का समावेश किया। 
  • लीला सैमसन – यह भरतनाट्यम कि परंपरा को आगे बढ़ाने वाली प्रमुख कलाकार हैं। 

2. कत्थक (Kathak) – उत्तर भारत

कथा कहने की परंपरा से निकला यह नृत्य अपनी घूमने की शैली (स्पिन्स), पैर की थाप और भाव-प्रदर्शन के लिए जाना जाता है।

प्रसिद्ध कलाकार :

  • पंडित बिरजू महाराज – कत्थक को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले महान कलाकार

  • लच्छू महाराज – यह लखनऊ घराने के प्रमुख कलाकार और कोरिओग्राफर हैं।

  • सितारा देवी – कत्थक कि इस महान कलाकार को “कथक क्वीन” कहा जाता है।

  • श्रुति शर्मा और आस्था गिल्ला – नई पीढ़ी की उभरती कत्थक नृत्यांगनाएँ।

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3. ओडिसी (Odissi) – ओडिशा

भगवान जगन्नाथ को समर्पित यह नृत्य अपने तरल भाव, त्रिभंगी मुद्रा और भक्ति रस के लिए प्रसिद्ध है।

प्रसिद्ध कलाकार :

  • केलुचरण महापात्र – ओडिसी को पुनर्जीवित करने वाले महान गुरु

  • सोनल मानसिंह – जिन्होंने इस नृत्य रूप को देश-विदेश में फैलाया।

  • माधवी मुद्गल – प्रमुख कलाकार, जिन्होंने इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 

  • रंजना गौहर , गुरु पंकज चरण दास आदि। 

4. कुचिपुड़ी (Kuchipudi) – आंध्र प्रदेश

यह नृत्य अभिनय, संगीत और कथानक का सुंदर मिश्रण है। इसमें नाटक के तत्व अधिक होते हैं।

प्रसिद्ध कलाकार :

  • यामिनी कृष्णमूर्ति – भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी दोनों में दक्ष।

  • राजू श्रीराम – आधुनिक समय के चर्चित कलाकार।

  • वेमपत्ति चिन्ना सत्यम् – इन्होंने कुचीपुड़ी नृत्य का पुनः उद्धार किया। 

  • रजा रेड्डी , सत्यनारायण शर्मा , गोपाल पिल्लई आदि। 

5. मणिपुरी (Manipuri) – मणिपुर

यह नृत्य राधा-कृष्ण की लीलाओं पर आधारित होता है। इसकी चाल धीमी, लयबद्ध और अत्यंत सौम्य होती है।

प्रसिद्ध कलाकार :

  • झोरोम निरंजन – पारंपरिक शैली को सजीव रखने वाले प्रमुख कलाकार

  • राजकुमार सिंहजीत  सिंह – इस शैली के संवाहक माने जाते हैं।

  • चारु सिजा माथुरी , गुरु विपिन सिंह , गुरु अमुबी सिंह , झवेरी बहनें (दर्शना , रंजना , सुवर्णा)। 

6. कथकली (Kathakali) – केरल

मुख्यतः पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला यह नृत्य रंगीन पोशाक, चेहरे के हाओ-भाओ (Expression) और शक्तिशाली मुद्राओं के लिए प्रसिद्ध है।

प्रसिद्ध कलाकार :

  • कलामंडलम कृष्णन नायर – इस शैली के लीजेंड।

  • कलामंडलम गोपी – पारंपरिक कथकली के स्तंभ।

  • गुरु गोपीनाथ , केलुचरण महापात्र , के.के. गोपालकृष्णन आदि।

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7. मोहिनीअट्टम (Mohiniyattam) – केरल

यह नृत्य कोमलता और स्त्री तत्व का प्रतीक है। मोहिनीअट्टम की चाल और मुद्राएँ अत्यंत सुंदर होती हैं।

प्रसिद्ध कलाकार :

  • भारती शिवाजी – जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मोहिनीअट्टम को प्रस्तुत किया।

  • स्मिता राजन – केरल की मोहिनीअट्टम कलाकार , इन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। 
  • राधा दत्ता , जयाप्रभा मेनन , सुनंदा नायर , गोपिका वर्मा , कलामंडल कल्याणिकुट्टी अम्मा आदि।  

8. सत्रिया (Sattriya) – असम

यह नृत्य श्रीमंत शंकरदेव द्वारा भक्ति आंदोलन के समय विकसित किया गया। यह आज भी सत्रों (मठों) में प्रस्तुत किया जाता है।

प्रसिद्ध कलाकार :

  • बिजॉयिनी देवी – जिन्होंने इस नृत्य को एक नए Level पर पहुँचाया।

  • कलामंडलम क्षेमवती , गुरु बापुराम बरबायान , गुरु प्रदीप चलीहा , गुरु जतीन गोस्वामी , गुरु जीबेश्वर गोस्वामी आदि।  

निष्कर्ष

भारतीय शास्त्रीय नृत्य केवल कलाओं का प्रदर्शन नहीं है, यह हमारी संस्कृति की आत्मा है। हर नृत्य रूप के पीछे एक परंपरा, एक दर्शन, और एक जीवनशैली छिपी होती है। आज जब आधुनिकता अपने चरम पर है, तब भी ये नृत्य रूप हमारी जड़ों से जोड़ने का काम कर रहे हैं।

तो दोस्तों जब आप किसी शास्त्रीय नृत्य को देखें,तो उसमें केवल नृत्य नहीं,भारत की आत्मा को महसूस करें।

क्या आपने कभी इन शास्त्रीय नृत्य शैलियों में से कोई नृत्य लाइव देखा है? कौन-सा नृत्य रूप आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करता है?
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